Sunday, August 8, 2010

इस बार भाई को देखने लड़की वाले आये

हेलो ब्लॉगर्स,,
प्लीज पढ़कर कमेन्ट जरुर करियेगा,,
अब भाई की भी तो बारी थी, करीब एक हफ्ते बाद, एक दूर के सम्बन्धी का फ़ोन आया, की वो लोग सतना (मध्य प्रदेश )से मुझे देखने आ रहे हैं, लड़की के पिताजी और हमारे सम्बन्धी उन्होंने ४ दिन बाद की तारीख दी, मैं एकदम टेंशन में हो गया, २४ साल उम्र अचानक रिश्ते की बात चली कुछ समझ नहीं आया,
मैंने बहन को फ़ोन लगाया, उसे सब बात बताया,, वो पागलों की तरह हसने लगी,,
बोली- अभी बहन की बात चल रही थी तो अच्छा था , अब खुद की बारी आई तो टेंशन,,
पर मुझे कुछ बीसमझ नहीं आ रहा था,, रात को माँ से थोड़ी बहस हो गई,, मैंने बड़ी दीदी को फ़ोन लगाया,,

(बड़ी दीदी मेरी बुवा जी की लड़की हैं जिनकी रायपुर शादी हुई है)
उन्हें सब बताया, उन्होंने सब बातें मुझे समझाई ,, उनकी बातें सुनकर थोडा रेलक्स लगा,,
अब मैं तैयार था
शुक्रवार को लड़की वाले आये, जनरल बातें हुई,,
क्या करते हो,, पढाई,, वगैरह वगैरह
उन्होंने दोपहर का भोजन किया फिर पापा से दुकान में बातचीत होने लगी
फिर अपने घर
फ़ोन लगाकर उन्होंने कुछ बात की, हमारे शहर में उनके कोई परिचित थे उनके घर चले गए,,
तक़रीबन १ घंटे बाद वो वापस आये और कहा की -- हमें तो सब ठीक लगा जी आप ये हमारी लड़की की फोटो और bio data रख लो, आपको जैसा ठीक लगे खबर करना,,

लड़की कैसी थी और बहन क्या बोली,, ये सब अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Thursday, August 5, 2010

रिश्ते की पहली रश्म - फोटो लेके लड़के के घर

हेलो ब्लॉगर्स,,
अगर आप मेरा ब्लौग पढ़ते हैं तो कृपा करके १-२ कमेन्ट भी दीजिये दिल की तसल्ली मिलेगी,,
रात ११ बजे घर पहुचने के बाद पापा ने फोटो देखि और बहुत खुश हुए,, सुबह चाची का माँ के पास फ़ोन आया तो माँ ने बताया की चाचा जी को फोटो लेके भेज देना बस,, शाम को चाचा जी फोटो दे आये,, और रात को बहन का फ़ोन आया --- भाई बहुत डर लग रहा है,, क्या होगा ???
और यही सोचते हुए नींद के आगोश में समां गया,,
सुबह करीब ११ बजे चाची का फ़ोन आया माँ के पास -- वो बोली की फोटो उन्होंने वापस कर दी,, और कहा की उन्हें लड़की पसंद नहीं आई,,
माँ बोली शाम ५ बजे तो फोटो भेजे थे जवाब भी आ गया,, मतलब उन्हें करना ही नहीं था ये रिश्ता
खैर छोडो उससे भी अच्छा जवाई मिलेगा हमें ,,
मैंने तुरंत बहन को फ़ोन लगाया वो थोड़ी दुखी हुई थोड़ी खुश

आज थोडा काम है,, आगे की कहानी अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Friday, July 30, 2010

रायपुर की कहानी

हेलो ब्लॉगर्स,,
सुबह ५ बजे मैं माँ चाची और बहन रायपुर के लिए निकले, मैं आगे के सीट पर ड्राइवर के साथ बाकि तीनो पीछे,, रायपुर ३ घंटे का सफ़र है,, वहां पहुचने के बाद पहले हम फोटो स्टूडियो ही गए,, मैं उन्हें वहां छोड़कर अपने काम से निकल गया,, १.५ घंटे बाद आया तब तक फोटो खीचने का काम पूरा न हुआ था,, करीब १ घंटा और लगा,, वहां ये तय हुआ की फोटो अभी समय और अभी तो, और अभी तो सिर्फ ३ बजे थे ,, भूख जोरो से लग रही थी हम पास में गिरनार होटल गए खाना खाने के लिए, वहां थाली सिस्टम था २ थाली मंगवाई, एक में मैं और बहन, दुसरे में माँ और चाची,, खाना खाने के बाद तय हुआ की गाँधी उद्यान चलते हैं,, बहन बिच में बोली -- भाई हमने कभी मॉल नहीं देखा है चलो वही चलते हैं, माँ भी तैयार हो गई, मॉल में हम भाई बहन ने खूब एन्जॉय किया,, शाम ६ बजे फोटो लेके हम वापस निकल गए,, पर इस बार माँ आगे की सीट पर मैं बहन और चाची पीछे, और रात ११ बजे घर वापस आने के बाद ११.३० बजे बहन का फ़ोन आया - भाई आज का सफ़र हम भाई बहन के लिए यादगार रहेगा न,, और मेरी आँखें आसूं से भर गई,, अरे हाँ फोटो बहुत सुन्दर आई थी,,

अब लड़के के घर फोटो देने की कहानी अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Thursday, July 22, 2010

लड़के के घर पर

हेलो ब्लॉगर्स,,
मैं दुसरे ही दिन शाम को विजू के घर गया, विजू घर पर अकेला रहता था, मैंने पुचा और कौन कौन है?
विजू - माँ, पापा, भैया और भाभी पर सब गाँव में रहते हैं,
लेकिन उन्हें जल्दी यहाँ शिफ्ट कर लूँगा,
"विजू भैया आपकी शादी का क्या विचार है ??"
यार रिश्ते तो आने लगे हैं लेकिन कोई अच्छा सा नहीं आया॥
" अच्छा सा मतलब पैसे वाला ? "
नहीं यार मतलब कोई लड़की समझ नहीं आई ,,
दोस्तों इस मुलाकात में मैंने वो सब बातें पता कर ली जो एक भाई को बहन के लिए जानना जरुरी होता है ,,और मैं लड़के hकी तरफ से १०० % शोर्ट में कहूँ तो लड़का मेरे जीजू बनाने के लायक था,,
अब मैं उसके दोस्तों से उसकी पतासाजी करने में लग गया,, १-२ दिन में सभी जगह से रिपोर्ट एकदम सही मिली, मैं अपनी तरफ से पूरा संतुष्ट था,, अब मैं चाची के पास पंहुचा और चाचा चाची को पूरी बात बताई,, उन्हें यह भी बताया की ठीक ५ दिन बाद लड़के के माँ पिताजी आने वाले हैं १ हफ्ते के लिए,, चाचा चाची खुश थे ,,

दुसरे दिन सुबह माँ के पास चाची का फ़ोन आया पूछने के लिए के फोटो भेजने के लिए किस स्टूडियो में खिचवायें ?
माँ बोली यहाँ शादी के लायक कोई नहीं खिचता फिर भी कोशिश करते हैं शाम को आजा,,
पर रिजल्ट वही निकला bahan की फोटो bahut ख़राब आई ,, पापा फोटो देखकर और नाराज़ हो गए ,,
२ दिन इन्ही सब में निकल गया,, चाची का मेरे पास फ़ोन आया की क्या करें ??
" चाची जी आप माँ से बोलो फोटो खीचने रायपुर चलने को थोडा फोर्स करना तो तैयार हो जाएँगी,,
बहुत न नुकुर के बाद सुबह रायपुर जाना सुबह ५ बजे तय हुआ,,

दोस्तों रायपुर माँ, चाची, बहन और मैं ,, हम चारो का जाना तय हुआ, बहन से बात हुई की हम भाई बहन साथ में जायेंगे शायद ये हमारी ज़िन्दगी का सबसे प्यारा मौका होगा बहन और हम भाई बहन रोने लगे.. अब सोना है न सुबह ५ बजे रायपुर जाना है,,

रायपुर का वो सफ़र मेरी ज़िन्दगी का सबसे यादगार सफ़र है,,

रायपुर की कहानी ख़ुशी और आसुओं के साथ अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Friday, July 16, 2010

दुनिया का सबसे अच्छा भाई

हेलो ब्लॉगर्स,,
अब सब कुछ नॉर्मल चल रहा था एक दिन मैं sis के घर गया तो चाचाजी ने मेरे एक दोस्त का नाम लिया विजू को जानते हो ? मैं बोला हाँ पर क्यों ??
चाचाजी व्यापार उसका भी stone crusher का है जो आप का है''
हाँ उसका प्लांट मेरे बगल में है'',, और चाची के दूर के रिश्ते में भी आता है,,
चाची बोली--थोडा detail पता करो न भैया,, पर क्यों चाची ??
चाचा बिच में बोले - sis के लिए लड़का कैसा है ???
मुझे एक पल समझ ही नहीं आया ये अचानक क्या हुआ
मैं बोला लड़का अच्छा है पर मुझे थोडा टाइम दो,,
शायद मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब भाई था जिसे अपनी बहन के लिए लड़के की enquiry करनी थी,,

आगे की बातें अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Tuesday, July 13, 2010

एक अजीब सा अल्प विराम

हेलो ब्लॉगर्स,,
sis ने उतना बोलकर फ़ोन रख दिया,, मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी, कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ,, कम से कम १०० बार sis को फ़ोन लगाया,, हर बार मोबाइल बंद था,, पर मेरे पास कोई विकल्प नहीं था,, रात भर इस कशमकश में नींद नहीं आई,, सुबह ५ बजे मोबाइल बजा देखा तो sis थी,, तुरंत फ़ोन रिसीव किया,, " क्या हुआ बहन, मुझसे कोई गलती हुई क्या ??,, एक बार माफ़ कर दे आगे से ऐसा नहीं होगा"" भाई भाई मेरी बात तो सुन,,
कल किसी ने चाचा जी से हमारे बारे में कुछ उल्टा सीधा कह दिया,, चाचा जी ने मुझे कहा की तुम अब बात नहीं करोगी, लोग बातें बना रहे हैं और तुम्हे घर भी आने को मन किया है,, और sis रोने लगी,, उसे समझा कर चुप कराया मैंने कहा थोड़े दिन इंतज़ार कर सब अपने आप ठीक हो जाएगा,, और करीब ७-८ दिनों बाद सब कुछ नोर्मल हो गया,,
लेकिन इन ७-८ दिनों में मैंने ये जाना की किसी अपने के थोडा सा दूर जाने का दर्द कितना होता है,, आप सभी से अनुरोध है किसी का भी दिल दुखाने से पहले कई बार सोचिये,, आगे की बात अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Sunday, July 11, 2010

मेरे घर में

हेलो ब्लॉगर्स,,
sis और चाची घर आये और माँ से चाची की खूब सारी बातें हुई। माँ और चाची की भी खूब जमने लगी, ऐसे ही समय कटता गया, १३ अगस्त राखी का दिन आया, उसके पहले ही दिन मैंने बहन को कॉल किया और समझाया की बहन हमारा रिश्ता मन का है तू ये मत सोचना की भाई तुझसे घर आकर राखी पहनेगा तभी कुछ होगा । हमारा रिश्ता मन का है और हम भाई बहन ऐसे ही रहेंगे उसने कहा हाँ भाई मैं समझती हूँ । मैं भगवान् जी से रोज बहन के लिए प्रार्थना करने लगा और भगवान् जी हमेशा मेरी सुनते थे, मेरा sis के घर जाना भी होने लगा, sis के पास अपना मोबाइल भी हो गया, एक दिन अचानक ७:३० बजे sis का फ़ोन आया भाई मुझे आज के बाद कॉल या मेसज नहीं करना " क्यों ??" बस जितना बोला उतना समझा कर भाई,, प्लीज मुझे फ़ोन नहीं करना,, और अपना ध्यान रखना हमारा भाई बहन का रिश्ता ऐसा ही रहेगा ,, बाय

मेरी तो जैसे जान ही निकल गई,, उसका मोबाइल स्विच बंद हो गया,, आगे की बात अगली बार तब तक के लिए प्रणाम...

Friday, July 9, 2010

sis के घर में

हेलो ब्लॉगर्स ,,
sis के घर पंहुचा, एक ४ भाइयों की जोइंट फैमिली में सबसे पहले चाची से मुलाकात हुई, घर में एक एक करके सब मुझे देखने आ रहे थे, चाय पिया, sis से नोट्स लेकर १० मिनट में वापस आ गया, सब कुछ नॉर्मल था , सोमवार को कॉलेज में sis मिली, कहा भैया मेरे घर वाले पुराने विचार वाले हैं, थोड़ी प्रॉब्लम हुई, पर सब ठीक है, मैंने मन ही मन भगवान् जी का धन्यवाद किया।
अब sis का फ़ोन अक्सर आने लगा और हम आपस में भाई बहन के रिश्ते में बहुत सी बातें शेयर करने लगे। धीरे धीरे पता चला की sis के घर में थोडा फैमिली टेंशन रहता था, इसी टेंशन की वजह से हम भाई बहन की आत्मीयता बढ़ने लगी,, मुझे लगने लगा भगवान् जी ने भले देर से पर मुझे एक अच्छी सी बहन दे दी, करीब १५ दिनों बाद sis का अचानक फ़ोन आया, भाई माँ घर पर हैं ?? मैं और चाची घर आयेंगे, मैं बोला हाँ , पर अचानक कैसे ?? बोली नहीं बता सकती,, बस आ रहे हैं ,, मेरी सांस ऊपर की ऊपर और निचे की निचे अटक गई ,,,
घर आने के बबाद की बातें अगली बार,, तब तक के लिया प्रणाम।

Thursday, July 8, 2010

एक प्यारी सी बहन

प्रिय ब्लॉगर्स ,,
अब मेरे पास एक प्यारी सी छोटी सी बहन है। धीरे धीरे बहन से आत्मीयता बढती गई ,, इस बीच हमारे कॉलेज के पास एक फ्रेंड (रू ) का घर था हम सभी दोस्त वहां बैठते थे इस से भाई बहन का रिश्ता और गहराता गया। ३ दिनों के लिए कुछ जरुरी काम आ जाने के कारण मैं कॉलेज नहीं जा पाया तीसरे दिन शाम को फ़ोन की घंटी बजी ट्रिन पापा ने फ़ोन उठाया और कहा तुम्हारा फ़ोन है,, मैंने फ़ोन लिया उधर से sis थी। पता नहीं क्यों दिल की धड़कने बढ़ गई । sis बोली भैया क्या बात है ? कॉलेज कैसे नहीं आ रहे हो ?? " तबियत ख़राब है " । भैया मैडम ने बहुत सा प्रैक्टिकल बता दिया है। आप कैसे लिखोगे ?? " क्या पता " आप मेरे से घर आके ले लो । "पर घर पे कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी।" नहीं भैया " ठीक है मैं थोड़ी देर में आता हूँ। ओके भैया। थोड़ी देर में मैं sis के घर पंहुचा ( मन में बहुत सी बातें थी की सेम कास्ट है शायद sis के घर वाले नाराज़ हो॥ पर........ क्या हुआ sis के घर पे ये अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Wednesday, July 7, 2010

SIS के साथ दूसरा दिन

हेलो ब्लोग्गेर्स ,,
दुसरे दिन सुबह की दुकानदारी के बाद कॉलेज जाने की जल्दी थी पता नहीं क्यों, मैं समय से १५ मिनट पहले ही कॉलेज पहुच गया और मन में sis का इंतजार था। sis अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज आई । फर्स्ट period के बाद मैं उसके पास गया और पूछा आज मूड कैसा है " मेरे मूड को क्या हुआ, आप बताओ भैया " मैंने कहा मैं तो एकदम बढ़िया हूँ । "आप यही बैठो " मैं उसके साथ बैठ गया, --- और इधर उधर की पढाई की बातें ----
कब कॉलेज का टाइम ख़त्म हुआ पता नहीं चला । sis बोली भैया मुझे fruit & nut chocolate बहुत पसंद है , अपनी बहन के लिए लेकर आना,, और मैं कुछ बोले बिना अपनी गाड़ी स्टार्ट करके वापस आ गया ॥
अब शाम को कमीने दोस्तों का फ़ोन आया, तू सबसे लक्की है और उल जुलूल बातें ,, मैंने उन्हें डांट कर फ़ोन रख दिया,, रात को सपने में देखा तो sis थी, " भैया chocolate लाया (लाये नहीं लाया ) " एकदम तेजी से नींद खुल गयी, और आँख में खूब आसूं भरे थे। मुझे लगा शायद भगवन जी ने मेरी सुन ली और एकं प्यारी नन्ही सी बहन दे दी, फिर नींद ही नयी आई। आगे अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Tuesday, July 6, 2010

आगे की स्टोरी

SIS ने कहा मेरी तबियत ठीक नहीं है । मैंने कहा तुम झूठ बोल रही हो,, मुझे सच बताओ, तब उसने कहा की वो बहुत टेंशन में है, " किस से सम्बंधित " तो SIS बोली घर से ।
मैंने कहा तुम पागल हो, घर का क्या टेंशन " आप नहीं समझोगे आपको भगवान् जी ने सब अच्छा दिया है न कभी मेरी जैसी ज़िन्दगी जीके देखो तब पता चलेगा।
बात तो ऐसे कर रही हो जैसे रोज घर में महाभारत होती है, कौन कौन हैं तुम्हारे घर में ?
माँ पापा और बड़ा भाई ,,, आप छोडो भैया ये सब बात और बताओ आपके घर में कौन कौन है ??
मैंने कहा -- माँ पापा और छोटा भाई।
बस आपकी कोई बहन नहीं है ???
नहीं बस ४ लोग हैं।
तो फिर मैं आज से आपकी बहन हुई । बनाओगे मुझे अपनी बहन ??
कोई तमाशा है क्या ??
क्यों मैं ख़राब हूँ क्या ???
नहीं पर कुछ ज्यादा अच्छी हो ।
पर मुझे थोडा टाइम दो ।
त्रीईईन घंटी बजी और क्लास ख़त्म।

मैं अपनी बाइक से घर वापस आ गया और दुकान पर बैठ गया
यहाँ आप सबको ये बता दूँ की मेरे घर पर cement का व्यापार है
दिन भर की दुकान के बाद रात में पता नहीं कैसे sis का ख्याल आया । और यही सोचते हुए कब आँख लग गई पता ही नहीं चला। सुबह की बातें अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

Monday, July 5, 2010

sorry,,, but i am back now

hi bloggers,,
sorry i m absent for unknown days,, but i m back and be regular now, now with the reality---

after joining the college today ragging day started,, my city is a small town so ragging means not of IIT type,, just for fun,, about 1 pm a botany teacher (mam) comes with register to take attendance. i saw her with smile,, in between the attendance a name called SIS (बनाया हुआ नाम ) taken by mam i turn my head to see who's that a new girl with simplicity and god's created beauty,, i just filled with joy, that's i saw her first,,
hey friends i just know how to write in hindi so bye bye english

अब कॉलेज के दुसरे दिन थोड़ी हिम्मत करके जान पहचान बनाया आपको बताना चाहूँगा ये दुनिया की सबसे प्यारी बच्ची है ,, बस कॉलेज जाते हुए कब १५ दिन निकल गए पता ही नहीं चला और भूत आ गया मतलब पहला exam ( class test),, botany का पेपर था सब अपना पेपर देने में busy थे करीब २ घंटे निकल चुके थे पर अचानक SIS रोने लगी,, मैडम ने पूछा क्या हुआ " कुछ नहीं मैडम" पेपर ख़त्म हुआ फिर मैं हिम्मत करके SIS के पास गया। मैंने पूछा क्या हुआ " कुछ नहीं "
प्लीज मैं तुम्हारा भाई जैसा हूँ शायद मैं तुम्हारी हेल्प कर सकूँ
मुझे नहीं पता मैंने कैसे और क्यों कहा की मैं भाई जैसा हूँ
बस कह दिया "

फिर SIS ने मुझे जो बताया वो अगली पोस्ट में ..... तब तक प्रणाम


Monday, February 22, 2010

B.Sc Ist year

Hi friends,
i am new blogger here and i want to write about my wholesole heart touching life. My story start like this -
After completing a failure try in medical entrance exam, i joined Govt college in my city in B.Sc first year. This is is my first day in college............