Friday, July 9, 2010

sis के घर में

हेलो ब्लॉगर्स ,,
sis के घर पंहुचा, एक ४ भाइयों की जोइंट फैमिली में सबसे पहले चाची से मुलाकात हुई, घर में एक एक करके सब मुझे देखने आ रहे थे, चाय पिया, sis से नोट्स लेकर १० मिनट में वापस आ गया, सब कुछ नॉर्मल था , सोमवार को कॉलेज में sis मिली, कहा भैया मेरे घर वाले पुराने विचार वाले हैं, थोड़ी प्रॉब्लम हुई, पर सब ठीक है, मैंने मन ही मन भगवान् जी का धन्यवाद किया।
अब sis का फ़ोन अक्सर आने लगा और हम आपस में भाई बहन के रिश्ते में बहुत सी बातें शेयर करने लगे। धीरे धीरे पता चला की sis के घर में थोडा फैमिली टेंशन रहता था, इसी टेंशन की वजह से हम भाई बहन की आत्मीयता बढ़ने लगी,, मुझे लगने लगा भगवान् जी ने भले देर से पर मुझे एक अच्छी सी बहन दे दी, करीब १५ दिनों बाद sis का अचानक फ़ोन आया, भाई माँ घर पर हैं ?? मैं और चाची घर आयेंगे, मैं बोला हाँ , पर अचानक कैसे ?? बोली नहीं बता सकती,, बस आ रहे हैं ,, मेरी सांस ऊपर की ऊपर और निचे की निचे अटक गई ,,,
घर आने के बबाद की बातें अगली बार,, तब तक के लिया प्रणाम।

4 comments:

  1. सुनाते चलो .. बहुत अच्‍छा लगा !!

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  2. माताजी और पिताजी से ममी और डेड हो गए . बहेन जी और जीजा जी से सिस और जीजू हो गये.

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  3. कुछ और नए रिस्तो के नाम ढूंड लो, जैसे की चाचा जी, चाची जी, मामा जी और मामी जी, बुवा जी और फूफा जी. ताऊ जी और ताई जी. देखो जरा इनका भी कोई अंग्रेजी मैं कोई मतलब निकलता है या नहीं.

    क्यों रिश्तो की माँ - बहेन करने पे लगे हुए हैं.

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  4. apni dincharya aur anubhav ko kalambaddh karna achchha abhyas hota hai. shubhkamnae.

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