Friday, July 30, 2010

रायपुर की कहानी

हेलो ब्लॉगर्स,,
सुबह ५ बजे मैं माँ चाची और बहन रायपुर के लिए निकले, मैं आगे के सीट पर ड्राइवर के साथ बाकि तीनो पीछे,, रायपुर ३ घंटे का सफ़र है,, वहां पहुचने के बाद पहले हम फोटो स्टूडियो ही गए,, मैं उन्हें वहां छोड़कर अपने काम से निकल गया,, १.५ घंटे बाद आया तब तक फोटो खीचने का काम पूरा न हुआ था,, करीब १ घंटा और लगा,, वहां ये तय हुआ की फोटो अभी समय और अभी तो, और अभी तो सिर्फ ३ बजे थे ,, भूख जोरो से लग रही थी हम पास में गिरनार होटल गए खाना खाने के लिए, वहां थाली सिस्टम था २ थाली मंगवाई, एक में मैं और बहन, दुसरे में माँ और चाची,, खाना खाने के बाद तय हुआ की गाँधी उद्यान चलते हैं,, बहन बिच में बोली -- भाई हमने कभी मॉल नहीं देखा है चलो वही चलते हैं, माँ भी तैयार हो गई, मॉल में हम भाई बहन ने खूब एन्जॉय किया,, शाम ६ बजे फोटो लेके हम वापस निकल गए,, पर इस बार माँ आगे की सीट पर मैं बहन और चाची पीछे, और रात ११ बजे घर वापस आने के बाद ११.३० बजे बहन का फ़ोन आया - भाई आज का सफ़र हम भाई बहन के लिए यादगार रहेगा न,, और मेरी आँखें आसूं से भर गई,, अरे हाँ फोटो बहुत सुन्दर आई थी,,

अब लड़के के घर फोटो देने की कहानी अगली बार तब तक के लिए प्रणाम

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